जन से दूर हुआ आहार, स्टेशनों पर यात्रियों को बेच रहे महंगा खाना

रेलमंत्री से लेकर रेलवे बोर्ड चेयरमैन तक सभी बेहतर यात्री सुविधाओं का दावा करते हैं। हालांकि हकीकत इसके उलट है। क्योंकि जयपुर रेलवे स्टेशन पर आईआरसीटीसी, रेलवे कॉमर्शियल और वेंडर्स धड़ल्ले से नियमों तोड़ रहे हैं। यह हालत तब है कि जब रेलवे के सभी बड़े अफसर यहां हैं।


आईआरसीटीसी ने स्टेशन पर दो बड़े फूड स्टॉल छह महीने से बंद कर रखे हैं। पहले इसे शुरू करने में टेंडर प्रक्रिया का हवाला दिया जा रहा था अब टेंडर हो गया तो रिनोवेशन के नाम पर बंद कर रखा है। इन सब में जनता परेशान हो रही है। क्योंकि प्लेटफॉर्म नंबर 1 पर स्थित रेलवे रिफ्रेशमेंट (आरआर) में ही जनता थाली मिलती है जिसकी कीमत महज 35 रुपए है। तो वहीं प्लेटफॉर्म नंबर 1 पर ही बने फूड प्लाजा को भी बंद किया हुआ है। इसी तरह जयपुर जंक्शन पर किसी भी स्टॉल पर जनता खाना नहीं मिल रहा है। 



जिनके पास होता है, वो डिस्प्ले ही नहीं करते
जंक्शन पर रोजाना करीब 1.50 लाख से अधिक यात्रियों का आवागमन होता है। ऐसे में जानकार मानते हैं कि करीब एक हजार जनता खाना डिमांड में रहता है। लेकिन जंक्शन पर बनी 20 से अधिक स्टॉल पर तो ये उपलब्ध ही नहीं होता। वहीं जिन स्टॉल पर उपलब्ध होता है, तो वो उसे छुपा कर रखते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर यात्री इसकी डिमांड करता है, तो वो मना कर देते हैं। लेकिन यदि कोई अधिकारी अचानक निरीक्षण करने पहुंच जाए, तो वे जनता खाना की उपलब्धता दर्शा देते हैं।


जनता खाने की बजाय देते हैं मंहगी थाली
प्लेटफॉर्म नंबर एक पर जन आहार का भी ऐसा हाल है। यहां यात्रियों को 100 रुपए का कॉम्बो मील खरीदना पड़ता है। साथ ही बिना वेट 40 रुपए के छोले भटूरे और राजमा/छोले मिलता है। कॉम्बो मील जन आहार की मेन्यू लिस्ट और आईआरसीटीसी के कॉन्ट्रेक्ट में शामिल ही नहीं है। रेलवे बोर्ड का भी सख्त निर्देश है कि स्टेशनों पर बने सभी फूड कियोस्क पर रेट लिस्ट के साथ मात्रा अनिवार्य रुप से लिखी होनी चाहिए। रेलवे द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले इस जनता खाने में सात‌-आठ पूड़ी, सब्जी व आचार मिलता है जो कि मात्र पंद्रह रुपए का होता है।